ज़िन्दगी है छोटी, पर मैं खुश हूँ।
जैसे भी हालात में हूँ, इस हालात में खुश हूँ।
आज गाड़ी में जाने का वक्त नहीं, दो कदम चलकर ही खुश हूँ।
आज किसी का साथ नहीं है,किताब पढ़ के ही खुश हूँ।
आज कोई नाराज़ है, उसके इस अन्दाज़ में ही खुश हूँ।
जिसको पा नहीं सकता, उसकी याद में ही खुश हूँ।
बीता हुआ कल जा चुका है, उसकी मीठी यादों में ही खुश हूँ।
धीरे- धीरे ये पल बीतेंगे, ये सोचकर ही खुश हूँ।
ज़िन्दगी है छोटी, पर हर पल मैं खुश हूँ॥
॥ खुश हूँ ॥
[एक दोस्त]
7 comments:
कविता से पता नहीं चल रहा कि तुम खुश हो या दुखी। कुल मिलाकर कविता छोटी पर मार्मिक है।
please disable word varification......
dhanyvaad Mamtaji........
काव्य जगत में स्वागत है...कविता पढकर मैं बहुत खुश हूँ...दूसरी कविता अपेक्षित है...
काव्य जगत में स्वागत है...कविता पढकर मैं बहुत खुश हूँ...दूसरी कविता अपेक्षित है...
यह कविता बहुत अच्छी लगी ..............
Dhanya vad Mukesh Ji Prerna vardhn ke liye
Shukriya Praveen ji kavita pasand karne ke liye.
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