Friday, April 16, 2010

Reservation

आरक्षण – एक ऐसा विषय है जो आज भी सबसे विवादास्पद है । सभी राजनीतिक संगठन अपने निहित तुच्छ राजनीतिक स्वार्थों के लिए इसका प्रयोग कर रहे हैं । अब समय आ गया है कि भारतीय जनमानस को यह वास्तविकता समझ लेनी चाहिये कि आरक्षण देश को सामाजिक समता नहीं, अपितु जातीय विद्वेश का प्रसार कर रहा है । यह देश को आगे नहीं, अपितु पीछे ले जा रहा है । अभी हाल में एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन में किये गये सर्वेक्षण में यह पता चला कि भारत मानव विकास सूचकांक में अपने पडोसियों से भी पीछे १३२वें क्रमाङ्क पर रहा । यहाँ पर यह स्पष्ट कर देना अनिवार्य है कि यदि देश से आरक्षण रूपी दानव नहीं गया तो वह दिन दूर नहीं जब २०६ देशों के विश्व में भारत का स्थान अन्तिम पायदान पर होगा । भारतीय जनमानस और भारतीय नेताओं को यह बात भली-भाँति समझ लेनी चाहिये कि आरक्षण से किसी भी अवस्था में किसी का उत्थान नहीं कर रहा है, अपितु पिछडे और् अनुसूचित जातियों- जनजातोयों को अकर्मण्य बना रहा है । इसका सबसे बडा उदाहरण अभी हाल ही में आयोजित राजस्थान तृतीय श्रेणी की शिक्षक नियुक्ति परीक्षा में देखने को मिला । उक्त परीक्षा में ऐसे परीक्षार्थी शिक्षक बने हैं जिनका परीक्षा में अङ्क नकारात्मक(-५ तक) रहा था । अब ऐसे शिक्षक हमारी आगामी पीढी को क्या शिक्षा देंगे, जो कि स्वयं एक परीक्षा में उत्तीर्ण तो दूर सकारात्मक अङ्क तक नहीं पा सके । कहने को भारत सरकार ने मौलिक अधिकारों में संशोधन करते हुए शिक्षा को मौलिक अधिकार बना दिया । परन्तु ऐसे अधिकार से क्या मिलेगा, जिनको प्राप्त करने में ऐसे शिक्षकों को प्रयोग किया जा रहा है । स्वयं आरक्षण की माँग करते हुए अम्बेडकर ने कहा था कि इसको केवल दश वर्षों के लिये लागू किया जाना चाहिये, परन्तु आज स्थिति यह है कि जो भी सरकार सत्ता में रहती है वह संशोधन पर संशोधन करते हुए इसको अगले दश वर्षों के लिये बढा देती है । इसका एक प्रमुख कारण यह है कि सत्तासीन संगठन अपना वोट बैंक कमजोर नहीं करना चाहतीं । अभी हाल ही में महिला आरक्षण विधेयक राज्य सभा में पारित हुआ । साथ-ही-साथ रङ्गनाथ मिश्र आयोग की सिफारिशों पर आधारित मुस्लिम आरक्षण की सुगबुगाहट आने लगी । आने वाले भविष्य में यह सम्भव है कि ईसाई, बौद्ध, जैन.. यहाँ तक कि सामान्य जातियों को भी आरक्षण देने के लिये समितियाँ गठित की जाय । पुनश्च प्रश्न यह उठता है कि यह आरक्षण किसको और किससे बचने के लिये दिया जाय़ । वस्तुतः यह कोई विवाद का विषय नहीं कि आरक्षण किसको मिले अपितु विवाद इससे पर है कि क्या इससे भारतवर्ष का विकास होगा ? अधिकांश लोग कहते हैं कि आजकल प्रतिभा पलायन कर रही है । इसका सीधा सा उत्तर है कि प्रतिभा वहीं जायेगी जहां उसका सम्मान होगा । वो सम्मान चाहे अमेरिका, ब्रिटेन में मिले या रूस इत्यादि देशों में । अब भी समय है कि इस देश का जनमानस इस वास्तविकता को समझ ले, अन्यथा…………..

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