जिन्दगी में इश्क का था इक बड़ा सा आसियाना,
उनके आने की खबर से दिल बना था आशिकाना।
इश्क की ये इन्तहा थी जिन्दगी की राहों में,
उनके बारे में था सोचा वो बनेंगे हमसफर।
महफिले गुलजार होती उनके आने के लिए,
गर वो आते जिन्दगी में बनकर मेरे सामियाना।
राह ए उल्फत की नजर में वो थे मेरे हमसफर,
पर न जाने किसलिए थी उनको न इसकी खबर।
हमने चाहा तो बहुत था उनको पाने के लिए,
पर नहीं था उनके मन में इक भी ऐसा सूफियाना।
रजनीश